शिलालेख
बेटे !
उठाओं उत्कर्णक
और लिखों पाषाणों पर
एक नया इतिहास
सच सच l
सोचो मत की कि
पत्थर दिल वाले
या सत्य का सामना
न कर सकने वाले
विकलांग बना देंगे या
चुनवा देंगे दिवालों में
चुन चुन l
तभी
आनेवाले कल के
इतिहास में
तुम्हारा
परिहास नहीं होगा
अन्यथा
नया शिलालेख भी
हो जायेगा एक दिन
खंड – खंड l
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@रचना – घनश्याम पोद्दार
मुंगेर