शिमले दी राहें
हैं शिमले दी राहें
सुहानी अनोखी,
पहाड़ों की रानी को
जा करके देखी।
डगर कहीं सीधी
कहीं थी मरोड़ी
घिरी बादलों से
हरित शाल ओढ़ी।
वो कुफरी की मस्ती,
और जाखू की भक्ति।
करौली का बाबा,
और तारा की शक्ति।
नज़ारे वहां के
खुद ही नज़्म गायें,
सैलानी की टोली को
पल पल लुभाये।
वो झरनों की झर झर
बहुत खूब भैया,
यहां मेघ आकर के
लेते बलैया।
दुबारा मैं आऊं
नहीं कोई वादे,
मगर शिमला सुंदर
है कहते इरादे।
मैं पहली दफा
आज शिमला में आया।
पहाड़ी शहर ने
सृजन को लुभाया।