** शिखर सम्मेलन **
** गीतिका **
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पटल पर विश्व के है आज फिर छाया रहा भारत।
जगाकर आपसी विश्वास दिखलाता रहा भारत।
कुटुम्बकम् है हमारी धारणा वसुधैव को लेकर।
युगों से विश्व को परिवार कहता आ रहा भारत।
हुए एकत्र जी ट्वेंटी सभी हैं देश दिल्ली में।
लिए नेतृत्व दुनिया का सभी को भा रहा भारत।
हमेशा की तरह सबकी अपेक्षा पर खरा उतरा।
सुपथ है आज दुनिया को दिखाता जा रहा भारत।
बहुत आशा भरी नजरें लिए जिसने निहारा है।
कठिन पल में हमेशा मित्र है सबका रहा भारत।
निहारी विश्व ने प्राचीन भारत की धरोहर है।
कला संगीत का स्वर्णिम खजाना है रहा भारत।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)