शिखर पर पहुंचेगा तू
कुछ नज़रें सीधी तो कुछ टेढ़ी होगी
कुछ करेगा तभी तो हलचल करेगा तू
जब जब भरेगा तू दूसरों की झोली
तब तब अपने घर में बरगत करेगा तू
कोई नहीं पहचानेगा तुम्हें यहां
जबतक भीड़ के साथ चल रहा है तू
पकड़ लेगा जिस दिन राह अलग
हर किसी की आँखों में खटकेगा तू
होगी कठिनाई बहुत उस राह में
लेकिन बाधाओं से नहीं अटकेगा तू
मिल जाएँगे धीरे धीरे कई साथी
मिलेगी मंज़िल, जो राह नहीं भटकेगा तू
मुश्किल डगर पर चलना आसान नहीं
चल पाएगा तभी अगर हिम्मत रखेगा तू
जीतना हर बार संभव नहीं किसी के लिए
कभी कभी हार का स्वाद भी चखेगा तू
हार से हताशा कैसी, जीत भी मंज़िल नहीं
है यक़ीन, सफलता की नई नींव रखेगा तू
चलेगा निरंतर, जो लक्ष्य से भटकेगा नहीं
एक दिन अपनी मंज़िल तक पहुँचेगा तू
अनुभव करेगा फूलों की सेज सा
जब कांटों के बिस्तर पर सोएगा तू
हो जाएगा इतना सहज वहां भी अगर
इस ज़िंदगी में कभी नहीं रोएगा तू
हो रही थी पहले जो नज़रें टेढ़ी तुम पर
अब उनको भी अपने साथ पाएगा तू
चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं
कहावत नहीं यथार्थ है, मान जाएगा तू
हो सही राह अलग भी अगर, चुननी चाहिए
इस बात की मिसाल बन जाएगा तू
मेहनत करेगा तो कुछ और मायने नहीं रखता
एक दिन अवश्य, शिखर पर पहुँच जाएगा तू।