” शिक्षक “
‘ शिक्षक ‘ वो शिक्षक हैं जो ज्ञान की अलख जगाते हैं,
जीवन को जीने की सुदृढ़ बुनियाद बनाते हैं,
बेमेल सुरों को सजा सजाकर शिक्षक साज़ बनाते हैं,
नादान परिंदों को राह बता हमको बाज़ बनाते हैं,
शिक्षक डूबती कश्तियों को भी जहाज बनाते हैं,
लाख बनायें कोई यहाँ पर संगमरमर की इमारतें,
शिक्षक तो कच्ची ईटों से यहाँ ताज़ बनाते हैं,
सुनते है खड़े अदब से सबकी सभी शिकायतें,
वो शिक्षक दुनिया बदलने की आवाज़ बनाते हैं,
लाख लिखे कोई यहाँ पर गीत गज़ल गीतिका,
शिक्षक वर्णो को मिलाकर अल्फ़ाज़ बनाते है,
यह बनाते नही हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
ज्ञान की मिट्टी से शिक्षक सबको इंसान बनाते हैं,
शिक्षक ‘ वो शिक्षक हैं जो ज्ञान की अलख जगाते हैं,
जीवन को जीने की सुदृढ़ बुनियाद बनाते हैं।