शिक्षक ( शिक्षक दिवस पर विशेष )
शिक्षक ( शिक्षक दिवस पर विशेष )
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जो नित ज्ञान का दीप है जलाता !
वो इंसान ही है शिक्षक कहलाता !!
खुद जलकर जो औरों का पथ रौशन करता !
छात्रों को आगे बढ़ने के हर गुर है सिखलाता !
एक नन्हे पौध को सींचकर बड़ा वृक्ष है बनाता !
अज्ञानता का तम भगा, दिव्य प्रकाश है दिलाता !
वो सीधा-सादा इंसान ही इक शिक्षक बन जाता !!
शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माण की एक अहम कड़ी !
जिम्मेदारियाॅं हैं सर पे उनके बहुत ही बड़ी !
गुरु बिना शिष्यों की कोई प्रगति ही अधूरी !
बिन गुरु न करे शिष्य अपनी ज्ञान कभी पूरी !!
जो नित ज्ञान का दीप है जलाता !
वो इंसान ही है शिक्षक कहलाता !!
शिक्षक शिष्यों को अच्छे संस्कार है सिखाता !
जिसपे राष्ट्र-निर्माण की नई नींव है रख जाता !
सुनहरे भविष्य का सपना वो साकार कर जाता !
सच्चरित्रता की अवधारणा को आकार दे जाता !!
शिष्यों की सफलता ही गुरु का सपना बन जाता !
तपस्या के मार्ग में उनका न कोई अपना हो पाता !
बस, गुरु-शिष्य परम्परा का ही सदा निर्वाह होता !
एक स्वच्छ राष्ट्र के निर्माण पे ही सदा निगाह होता !!
जो नित ज्ञान का दीप है जलाता !
वो इंसान ही है शिक्षक कहलाता !!
शिक्षक दिवस तो साल में एक बार ही है आता ।
पर नित शिक्षकों का सम्मान हो, कुछ करें ऐसा !
शिक्षक, जीवन में अपना सर्वस्व अर्पण कर जाता !
उन्हें नित सम्मान दिलाना सबका कर्तव्य बन जाता !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 05 सितंबर, 2021.
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