“शिक्षक तो बोलेगा”
“शिक्षक तो बोलेगा”
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शिक्षक तो बोलेगा ही अलबत्ता,
सुनो, स्कूल व गुरु की गुणवत्ता;
कैसे हावी है यहां शिक्षा पे सत्ता,
स्कूल में, एक पाठ पढ़ाई जाती;
सबको, जाति याद कराई जाती;
छात्रवृति, आज खुद बदनाम है;
जाति व धर्म देख कर, इनाम है;
कुछ स्कूल का तो,सिर्फ नाम है;
किंतु,बेहतर परीक्षा परिणाम है;
बच्चों को, अंक आता अपार है;
परन्तु, सौ में छियानवे बेकार है,
शिक्षक का , नहीं कोई कसूर है;
स्कूल में पढ़ाना, पहुंच से दूर है;
आज भी,गुरु तो पूरा सुलझा है;
पर , कई गणनाओं में उलझा है;
कहीं कोई , चुनाव करवाना हो;
चाहे , गंभीर बीमारी भगाना हो;
या फिर, बाढ़ हो या अकाल हो;
गुरुजी का कभी न बुरा हाल हो;
जैसे , सूरज सबका ही है रक्षक;
ज्ञान का, प्रकाश पुंज है शिक्षक;
हर शिक्षक ही , एक सुपरमैन है;
इसके बिना, नहीं कही पे चैन है।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज कर्ण,
….कटिहार (बिहार)।