शिकायत
अगर अपना समझो, हाथ बडा कर तो देखो।
अपना बना दिल की बात सुना कर तो देखो।
खामोश रहना, लबों से कुछ ना कहना,
भीगी आंँखों से कुछ गुन गुना कर तो देखो।
मझघार में, सब छोड कर चले गये,
अब तो, मेरे दिल में धर बना कर तो देखो।
सब बुरा कहते हैं, पर मुझ में कोई बुराई नहीं,
मेरे साथ कदम से कदम मिला कर तो देखो।
गलतीयांँ नीकालते सब, दिल को जलाते सब,
ऐक बार मेरे साथ अपने को जला कर तो देखो।
“साही” को सबने कोसा, कोशिश कि मिटाने की,
है हीमत, ऐ दूनीयाँ वालों, मेरी शखसीयत मीटा कर तो देखो।