शिक़ायत नहीं है
1)शिक़ायत नहीं है मुझे अब सफ़र से
मुसाफ़िर हूं डरती नहीं रह-गुज़र से
2)संवरने लगी हूं ख़यालों से उसके
वो अंजान है मुझपे अपने असर से
3)सिसकती रही ज़िन्दगी रात भर यूं
नहीं जैसे नाता हो कोई सहर से
4) ये ख़ुश्बू हवा ला रही है उसी की
यक़ीनन वो फिर आज गुज़रा इधर से
5)मिलेगी उसी मोड़ पर मंतशा फिर
ये वादा है मेरा मेरे हमसफ़र से
🌹मोनिका मंतशा🌹