*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)
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बुद्धिमान शासक दरवाजे अर्थात गेट बनवाते हैं। जो शासन मूर्ख होते हैं, यह अपना सारा समय और धन सड़क बनवाने में बर्बाद कर देते हैं। जो जितना बुद्धिमान होता है, वह उतना ही भव्य गेट बनवाता है। उसे मालूम है कि अगर गेट नहीं बनेगा तो लोग किधर से जाएंगे ? सोचते विचारते ही रह जाएंगे। दरवाजा बनने से सबसे बड़ा फायदा यह रहता है कि आदमी उसके भीतर से निश्चिंत होकर गुजर जाता है। राजाओं की पहचान बताने में भी दरवाजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि सड़क तो टूट जाती है, दस-बीस साल चलती है। दरवाजे सैकड़ों साल तक कायम रहते हैं। अकलमंद आदमी उस काम में पैसा लगाएगा जिससे उसका नाम सौ-दो सौ साल चलता रहे। सड़क में क्या रखा है! नहीं भी बनी तो कच्ची सड़क पर आदमी किसी तरह चलेगा। सड़क भी चलने के काम ही आती है। फिर पैसा तो सीमित रहता है। उसे चाहे दरवाजा बनाने पर खर्च कर लो या सड़क बनाने के लिए संभाल कर रखो।
आज भी बुद्धिमान शासकों द्वारा बनाए गए दरवाजे याद किए जाते हैं। बहुत से दरवाजे तो ऐसे होते हैं जो सड़क पर भी नहीं होते। बस एक तरफ दरवाजा बना दिया। लोग उसे देखने के लिए जाते हैं और कहते हैं कि शासक हो तो ऐसा कि सैकड़ों साल बाद भी दरवाजा टस से मस नहीं हुआ।
दरवाजा अगर कम बजट में बनाना है तो भी कोई बुराई नहीं है। कम समय के लिए ही सही, शासन को अपना नाम अमर करने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहिए। सस्ते पैसों से जो दरवाजे बनते हैं, वह भी दस-बीस साल के लिए तो शासकों के नाम अमर कर ही देते हैं। आदमी का जितना जुगाड़ लगे, अमर होने से चूकना नहीं चाहिए। जनप्रतिनिधि आम तौर पर दरवाजे इसीलिए बनवाते हैं कि उस पर निर्माणकर्ता के रूप में उनका नाम लिख जाएगा या नहीं लिखा जाएगा तो रिकॉर्ड में तो लिख ही जाता है।
नए शासकों को पुराने शासकों के दरवाजे फूटी आंख नहीं सुहाते। कई बार तो नए शासक क्रोध में आकर पुराने शासको के द्वारा निर्मित दरवाजों को बुलडोजर से ढहवा देते हैं। जनता समझती है कि यह सड़क के चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है, क्योंकि हर दरवाजा कुछ फिट जगह घेरे रहता है। लेकिन उनका अनुमान निराधार सिद्ध होता है। थोड़े ही समय में नया शासक पुराने दरवाजे को तोड़कर इस स्थान पर नया दरवाजा निर्मित कर देता है। सरकारी खजाने को बर्बाद करने का यह भी एक अच्छा तरीका है।
प्रजातंत्र में हर पॉंच साल बाद सरकार बदलती है और पुराना तोड़ने तथा नया बनवाने का यह क्रम चलता रहता है । दरवाजे टूटते हैं और बनते हैं। सड़क न पहले बनी, न अब बनी।
राजा महाराजाओं ने अपने शासनकाल में अपनी रियासतों में दो ही काम किए हैं। एक तो शानदार महल बनवाए और दूसरे खाली स्थानों पर दरवाजों का निर्माण किया। यही दर्शनीय होते हैं । आप टूटी-फूटी सड़कों से गुजर कर इनके दर्शन करने जाइए, आपको बहुत अच्छा लगेगा।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
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