शायर
चाहत की तलाश मे ना जाने कँहा से चलकर आया हूँ मैं ,
हर एक इंसान को उसी की जुबान से सुनता आया हूँ मैं ,
सभी को अपना समझना एक तूजूर्बा था,
इन्ही तुजुर्बौ को सीखते हुये आज का शायर बन पाया हूँ मैं ।
चाहत की तलाश मे ना जाने कँहा से चलकर आया हूँ मैं ,
हर एक इंसान को उसी की जुबान से सुनता आया हूँ मैं ,
सभी को अपना समझना एक तूजूर्बा था,
इन्ही तुजुर्बौ को सीखते हुये आज का शायर बन पाया हूँ मैं ।