समझता हूँ
तेरे लव से निकलती हर जुबां को में समझता हूँ
तेरे खामोस होने की वजह भी में समझता हूँ
क्यों यारा तुम नहीं समझी मेरे दिल की तमन्ना को
तुम्हे मैं जान अपनी जान से ज्यादा समझता हूँ
तेरी यादे को बातें को जहन में मैं सजोये हूँ
भले खामोस हूँ लेकिन निगाहों में बसाये हूँ
कोई कुछ भी कहे यारा मुझे कोई फ़िकर है न
तुम्हे मैं जान मोहन का चेहरा समझता हूँ
तुझे चन्दा तुझे तारा तुझे सब कुछ समझता हूँ
जला है घर मेरा वो जलना समझता हूँ
तुम्हे अपना बताने की है मजबूरी समझता हूँ
तुम्हारा पास तो बैठा हूँ मगर दूरी समझता हूँ