शायरी
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
मौहब्बत जिनमें बस्ती है उसे इंसान कहते हैं।
यहां कुरआन और गीता को सब मिलके पढ़ते हैं।
इसी रब्बे इलाही को हम हिन्दुस्तान कहते हैं।।
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
मौहब्बत जिनमें बस्ती है उसे इंसान कहते हैं।
यहां कुरआन और गीता को सब मिलके पढ़ते हैं।
इसी रब्बे इलाही को हम हिन्दुस्तान कहते हैं।।