शायरी
राख में अब आग कहा से लाओगे ?
जले हुए को अब क्या जलाओगे l
मिट जाएगी अपनी हस्ती एक दिन
जल गया हूं अब क्या तुम जलाओगे।।
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मुस्कुराने से हंसने का सफ़र है ज़िन्दगी
कहीं धूप ,कहीं छाव है, ज़िन्दगी
चलना , गिरना फिर उठना
उसी का नाम है , ज़िन्दगी ।।
गौतम साव