शायरी
Post.3
कामयाबी को बटोरा था दिन रात जागकर,
खुशियां उम्मीदें एक ताज़ा की थी,
बैटा पूंछ रहा हैं तूं मुझसे,
तुमनें किया हैं जो किस ख्वाब से हैं,।
Jayvind Singh Ngariya Ji
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कामयाबी को बटोरा था दिन रात जागकर,
खुशियां उम्मीदें एक ताज़ा की थी,
बैटा पूंछ रहा हैं तूं मुझसे,
तुमनें किया हैं जो किस ख्वाब से हैं,।
Jayvind Singh Ngariya Ji