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15 Feb 2024 · 1 min read

शायरी – संदीप ठाकुर

वक्त की बात हर घड़ी मत कर
ख़ुद घड़ी देख गड़बड़ी मत कर
चांद बाहों में सो रहा है मेरी
रात ढलने में हड़बड़ी मत कर

संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur

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