शायरी शौक
सब कहे आदत मुझे बुरी हो गई
शायरी शौक से जिदंगी हो गई
राते उलझी हुई यादो के जाल से
मिले हुए भी हमे इक सदी हो गई
प्यार इक तरफा मेरा इस तरह का
दूर से देखने पर ही बंदगी हो गई
आज सुबह सुबह ही जो देखा तुम्हे
मांगी हुई मुराद पूरी मेरी हो गई
हंस कर तुमने बाते क्या करी मुझसे
सांसे मानो जैसे मेरी पुरी ही हो गई
Mohan Bamniya From Panipat