शायरी-ए-सियासत ।
रात काटते थे कभी अब इंतज़ार में बैठे है
सुबह की धूप या यूं कहो बाग-ओ-बहार में बैठे है ।
जिन्हें सच को झूठ कहने का सलीका आ गया
वो इस मुल्क में अब सरकार में बैठे है ।
इज़्ज़त आबरू बेच बड़ी दौलत कमाई जिसने
वो आज बड़े शान से इश्तिहार में बैठे है ।
कोई तो रोक लेगा उसे भूखे प्यासे मरने से
महीनों से वो सड़कों पे इसी इंतज़ार में बैठे है ।
लूट गयी देश अमीरों के ,चोर लुटेरों के हाथों
ये बताओं की यहां कौन चौकीदार में बैठे है ।
– हसीब अनवर