शायद जिंदगी
जब दिल दर्द से भर जाय
तो शायरी नही निकलती।
सिर्फ आह निकलती है।
अगर आह ना निकले तो
सिर्फ आंसू निकलते हैं।
और अगर आंसू न निकलें
तो
मुझे लगता है जां निकलती है।
अगर जान भी न निकले
तो
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शायद
अगले पिछले जन्मों के गुनाह निकलते हैं।
कभी रोग बनकर, सोग बनकर,उपेक्षा बनकर,नास्तिकता बनकर
और सब हसीन कल्पनाओं की एकमेव कुरूप वास्तविकता बनकर।।
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और अगर ये सब भी न निकलें तो
पागलपन निकलता है जिसमे न अपना पता होता है ना किसी और का न जिंदगी का न मौत का।
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अच्छा एक बात और
अगर पागलपन भी न निकले तो
पता है क्या निकलता है।।
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शून्य ।।वो वाला शून्य नही जिसके बहकावे में आकर सदियों से लोग ध्यान लगाकर अपने आप को परमात्मा समझने की गलतफहमी में हैं।
शून्य वो वाला शून्य
जिसे मेडिकल भाषा में कहते हैं ब्रेन डेड।इसमें कुछ नही निकलता।ना खुशी न गम।
ना हरकत न आराम।
ना गति न ठहराव।
🎉
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