शाम हो गई है अब हम क्या करें…
शाम हो गई है तो अब हम क्या करें,
यादें तुम्हारी सताएं तो हम क्या करें…
हरेक दिन हम ने तेरे नाम कर दिया,
कोई तुम सा न मिले तो हम क्या करें…
तुम एक पहर मेरे होकर तो देखो न,
वक्त तुम्हें न मिले तो हम भी क्या करें…
ज़माने को आजमा कर देख लिया,
भूल न सके ये दिल तुम्हें तो क्या करें…
आखिर कब तक नाराज़ रहोगे हमसे,
दूर रहकर कब तक तुम्हारी बातें हम करें…
राहुल जज़्बाती