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2 Jan 2024 · 1 min read

शाम उषा की लाली

शाम उषा की लाली
संध्या समेट रही बिखरी लाली
प्रकृति प्रकिया जगत निराली
रात दिवा बजती गूंजन बाती
घनघोर घटा छाती दिन राती
निशा उषा का आंगन भारी
खेत क्यारी भरी हरियाली
निर्वात निस्तब्द निःशब्द में
हिलोरे पवन की किलकारी
टी .पी. तरुण

1 Like · 286 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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