शादी की उम्र नहीं यह इनकी
शादी की उम्र , नहीं यह इनकी।
पढ़ने की उम्र है , अभी यह इनकी।।
नाजुक है फूलों की तरह अभी ये।
करो नहीं बर्बाद, जिंदगी यह इनकी।।
शादी की उम्र————————।।
डरकर रस्मों से , नहीं ऐसा करो।
यह अन्याय – पाप ,तुम नहीं करो।।
नहीं इनको बांधों, गृहस्थी की पाश में।
छीनो नहीं खुशियां, ऐसे तुम इनकी।।
शादी की उम्र ————————।।
अभी नहीं मजबूत , उठाने को यह भार।
करो नहीं जबरदस्ती, इनपे यह अत्याचार।।
अभी यह कमजोर है, सहने को बोझ यह।
उजाड़ों नहीं बगियाँ, अधखिली यह इनकी।।
शादी की उम्र——————————।।
स्वालम्बी, परिपक्व , बनने दो इनको।
एक चमन की तरहां, खिलने दो इनको।।
स्वप्न और बचपन, नहीं इनका छीनो।
अभी इनको पाने दो , मंजिल इनकी।।
शादी की उम्र————————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)