शादी का उत्सव
जब होती है ये शादी
सब लोग झूमते गाते
होते हर्षों – उल्लासित
खाते-पीते मस्ती करते
शादी का उत्सव भव में
होता मनोहर, मनोरम
शादी का नाम सुन के
कुशा होते बड़ा हर्षित ।
पहले की परिणयों में
प्रणव, पटहों के संग
मुरव बजाये जाते थे
आज की निकाहों में
डी०जे०, आर्केस्ट्रा का
प्रचलन चल रहा यहां
साथ ही होते हैं दावत
इससे सब होते सानंद।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार