शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
लौट आना डालियों पर , गुल की महफ़िल है सजी ।
✍️नील रूहानी…
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
लौट आना डालियों पर , गुल की महफ़िल है सजी ।
✍️नील रूहानी…