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4 Jan 2018 · 1 min read

*शांत लहरों को मत छेड़ो*

शांत लहरों को मत छेड़ो,आँखें लाल हो जाएंगी।
ग़र तासीर गरम हो उठी,तो फिर काल हो जाएंगी।।

बो बात अलग है कि हमें आग उगलना नहीं आता
आंधियां बनीं तो, तो ये बबंडर की चाल हो जाएंगी।।

वजन सहने का सलीका तो हमें,वेसुमार मिला है
महसूस किया तुमने, तो आँखें निहाल हो जाएगी ।।

तुम्हारी आँखों में तो बाराही का बाल पनप गया है
दीदे इधर किये ग़र, तो रौशनी से कंगाल हो जाएंगी।।

दरिया में देखा है कभी , तूफान बहकर आते हुए
आँखों में आँख डालीं ,तो ये भँबर जाल हो जाएगी ।।

हमने पिया है , मोहब्बत का महकता नशा”साहब”
उतर गया वो फिर , तो जी का जंजाल हो जाएंगी ।।
———————–भारत भारती————————
जन/03/2018

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