शांत और मुक्त भी मैं ,निर्भय हूँ निराश्रय:: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१०३)
राजयोगमहागीता: घनाक्षरी : अधंयाय२ छंद १८
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शांत और मुक्त भी मै , निर्भय हूँ निराश्रय ,
न ही मोक्षाकांक्षी हूँ , न ही हूँ मैं बंधन में ।
मैं मुक्त सदा भंरांति से , अशांति से भी मुक्त हूँ
मैं करता मनन न ही पाता क्रंदन में ।
मैंने जान लिया है , विशुद्ध चिन्मात्र , आत्मा को ,
मैं हहता बुद्ध , शुद्ध , प्रबुद्ध चिंतन में ।
स्वयं ही आनंदित होता हूँ स्वयं से स्वयं में ,
जगत तमाशे में , क्या रक्खा मनोरंजन में ।।
—— जितेंद्रकमलआनंद
सॉई बिहार कालोनी , रामपुर ( उ प्र ) पिन २४४९०१