#कुंडलिया//शहीद-भगत राज सुखदेव
यादें सूरज चाँद-सी , जग-अंबर में घूम।
भगत-राज सुखदेव की , सदा मचाएँ धूम।।
सदा मचाएँ धूम , अंग्रेज़ थे धर्राए।
भरी सभा बम फैंक , संग डायर टकराए।
सुन प्रीतम की बात , जिनके पक्के इरादें।
उनकी होती जीत , मिटे कभी नहीं यादें।
फाँसी फंदा चूम कर , हँसे हिंद जय बोल।
तीन रत्न थे देश के , कुर्बानी अनमोल।।
कुर्बानी अनमोल , देश की खातिर जीते।
त्याग सभी निज स्वार्थ , देश प्रेमी रस पीते।
सुन प्रीतम की बात , बने अंग्रेजों की खाँसी।
डर गौरों ने हार , प्रेमियों को दी फाँसी।
#आर.एस. ‘प्रीतम’