शहीद दिवस
कैसे लिखूं मै कलम से,शहीदों की कुर्बानी।
देश हित में भूल गए थे,अपनी ही जिंदगानी।।
आजादी के दीवाने थे,वतन से करते थे प्यार।
देश की आजादी के लिए रखते थे वे हथियार।।
अंग्रेजो को जगाने के लिए किया था विस्फोट।
लगाई थी अपने प्रयासों की गोरो पर गहरी चोट।।
सरकारी फाइलों में अब भी उनका आतंकी नाम।
अब तो भारत स्वतंत्र है,हटाओ अब आतंकी नाम।।
देश के खातिर सब कुछ किया था उन्होंने कुर्बान।
उनके कारण ही बना है,भारत एक देश महान।।
भगत सुखदेव राजगुरु ने दी थी अपनी कुर्बानी।
कैसे सुनाऊं भारत के शहीदों की अमर कहानी।।
कैसे लिखूं कलम से,शब्द मिलते नही अनुकूल।
हंसते हंसते फंदा ऐसा चूमा जैसे कोई हो फूल।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम