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25 May 2017 · 1 min read

(शहर के ऐवरेस्ट के लिए भावांजलि)

(शहर के ऐवरेस्ट के लिए भावांजलि)????????
एक छोटा शहर बड़ा हो गया था,
कदम नन्हा उन्नत खड़ा हो गया था,
खबर जीत की,खुशी की लहर थी
देखती रास्ता,रोक धड़कन,नजर थी
पर शायद तुम्हें यह हुआ न गवारा
छोटे हाथ से मुँह पे चांटा करारा
चाल तुमने न जाने थी ऐसी चली क्या
गुमशुदा लाल है शहर हक्का बक्का
ए पर्वतशिरोमणि,न इतराना खुद पर
फहराते रहेंगे तिरंगा वीर तुझ पर
न सोचना किस्सा ख़त्म कर दिया है
उसने पर्वत शहर में ला रख दिया है
ऊँचा तुझसे भी,उसका नाम हो गया है
“रवि हों” शहर का,पैगाम हो गया है
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

Language: Hindi
227 Views
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