शहर और गाँव~
तुम शहर को शोहरत कहते हो!
हस्ते हो, पर तन्हा रहते हो!!
हम गाँव को जन्नत कहते हैं!
तन्हा नहीं, दिल में मेले रहते हैं!!
🥀अजीत~
तुम शहर को शोहरत कहते हो!
हस्ते हो, पर तन्हा रहते हो!!
हम गाँव को जन्नत कहते हैं!
तन्हा नहीं, दिल में मेले रहते हैं!!
🥀अजीत~