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13 May 2024 · 1 min read

उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी

रचना नंबर (6)

*उम्मीद से सजे ये
छोटी सी जिंदगी*

जीवन की दौड़ में
आगे बढ़ने की होड़ में
आ जाए अँधा मोड़
पत्थर को तोड़ कर
राह तू मोड़ ले
मंजिल को ढूंढ ले
भोर की लाली सी
सूरज की किरणों सी
मुस्काए ज़िन्दगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी

हाल बेहाल हो
बाज़ार भी बंद हो
सब पर प्रतिबंध हो
दिल में महाकाल हो
रोटी और दाल हो
मीठी मनवार हो
हँसी की फुहार से
बातों ही बातों में
कट जाए ज़िन्दगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी

क्रूरता की घात हो
काली करतूतों से
मानव हताश हो
मन में विश्वास हो
अपनी पहचान हो
आन और शान हो
चाँद सितारों से
मोती की लड़ियों से
भर जाए ज़िन्दगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी

आतंक का साया हो
सूनामी छाया हो
हर दिल भरमाया हो
हाथ में हाथ हो
अपनों का साथ हो
डर की न बात हो
सपनो की आस से
आशा की डोर से
बंध जाए ज़िन्दगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी जिंदगी

सरला मेहता
इंदौर
स्वरचित

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