शहज़ादी
शहज़ादी
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परियों की शहजादी मैं
आसमान से आई हूँ।
कुदरत का भंडार भरे जो
उसे साथ में लायी हूँ ।
इश्क मुहब्बत संग है मेरे
फिर कैसी तन्हाई है।
उसने ही संग रहकर मेरे
प्रीत की गंग बहाई है ।
दुःख-सुख,आंसू-हंसी ठिटोली
सब ही मेरे अपने हैं ।
जीवन मेरा ज़न्नत यारो
स्वर्ग से सुंदर सपने हैं ।
खुशबू सा वो रहता संग में
बगिया भी महकायी है।
जीने की हर कला सिखाई
आज बना परछाईं है।
माही के संग रहता ‘माही’
और भला क्या मांगूँ मैं।
थाम ख़ुशी को अब तो हर पल
झूम झूम कर नाचूँ मैं।
© डॉ. प्रतिभा ‘माही’