शव शरीर
शव के स्वर शब्द भाव आत्मा नही आवाज शव का धर्म रिश्ता नही समाज।।
शव दिवंगत आत्मा का चोला
शव सत्य अर्थ काम मोक्ष परतंत्र
स्वत्रंत निरपेक्ष निष्काम।।
शव जीवन की प्रति निशा सत्य का अंतिम सत्य प्राणि की निद्रा निशा प्रति निशा चीरता निद्रा का अभ्यास।।
निद्रा, चिर निद्रा में अंतर मात्र निशा निद्रा उपरांत प्राभा सूरज लालिमा नव चेतना जीवन रक्त सांचार।।
चिर निद्रा प्राण आत्म अनंत यात्रा अंत नव यात्रा शुभारंभ सत्य अनंत युग ब्रह्मांड का रहस्य सत्यार्थ।।
निशा निद्रा कल्पना लोक सांचार संबाद चिर निद्रा कर्म परीक्षा परिणाम पुरस्कार।।
युग मे प्राणि प्राण जन्म मृत्यु
कर्म योग का सिद्धांत जन्म लेता प्राणि असह वेदना की अनुभूति के असहाय।।
जन्मदात्री जन्म लेने वाला प्राण द्वय वेदना स्वीकार युग प्रादुर्भाव।।
जन्मदात्री पीड़ा युग जानता जन्म लेने वाला प्राण पीड़ा का मूक शरीर साम्राज्य।।
आत्मा शरीर का शव परिवर्तन दुःख वेदना अनुभव अनुभूति बारम्बार।।
जन्म खुशियां सबंधो का संसार
ढोल नगाड़े बजते थाल मनते उत्सव संस्कार ।।
प्राण शरीर का कर देता त्याग ना कोई संबंध भावना ना सुख दुःख पीड़ा अनुभव संसार।।
संबंध शव को प्राण शरीर त्यागते ही घर से बाहर करते अविनि एकबिछौना जन्म मृत्यु केसाथ।।
शव चार कान्हो पर सवार पीछे पीछे कोई कहता राम नाम सत्य ,कोई जीजस ,अल्लाह।।
कोई पाता श्मशान चिता कोई कब्रगाह
शव साथ चलते प्राणि करते शव जन्म जीवन का गुण अवगुण का संवाद।।
यदि सत्य धर्म है ,यदि है कोई भगवान जीजस है अल्लाह कर्म प्राणि का युग सत्य सार संसार।।
जन्म लेता प्राणि सबंधो का प्रेम
सत्कार माँ के आंचल की छाया चरणों
का संसार ।।
पिता प्रिय की कांधे का सिंघासन सबसे बड़ा उपहार।।
मिथ्या कहे या सत्य आदि अनंत
युग काल समय जन्म जीवन नित्य
निरंतर प्राभा प्रबाह।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।