शर्मो हया उड़ गई
आँख से जब से शर्मो हया उड़ गई
यूँ लगा खुशबू लेकर हवा उड़ गई
रेत पर चल के आई परी वो मगर
दे के कदमों के अपने निशां उड़ गई
खूब जलवे थे उनकी अदाओं के पर
हमसे मिलते ही सारी अदा उड़ गई
पेड़ की पत्तियाँ गिर पड़ीं सूख कर
तोड़कर घोसला जब बया उड़ गई
तन सहित रुक्मणी को मिला वो मगर
श्याम का ले के मन राधिका उड़ गई
माँ ने जब भी उतारी नजर प्यार से
पर हिलाते हुए हर बला उड़ गई