शर्मसार हुई मानवता
हाथरस की वीभत्स घटना ने
मानवता को किया शर्मशार।
वहशी दरिंदों ने हवस के लिए।
किसी की इज्ज़त को किया तार तार।
दरिंदगी की सीमाएं सब तोड़ी।
जीभ को काटा, गर्दन को तोड़ा ।
सारी हदों को किया है उसने पार।
कब तक होता रहेगा अत्याचार?
देश की भांड मीडिया चुपी साधे।
बेटी के जख्म अभी है ताजे ताजे।
बहुत हो चुका है अब कैंडल मार्च ।
करो ऐसा कि न आये बेटी पर आंच।
बहुत हो चुका ये जांच का चक्कर।
बिटिया हारी व्यवस्था से थककर।
इन दरिंदों को ऐसी सजा सुना दो।
चौराहे पर इनको सूली से लटका दो।
सरकार कितना भी कानून बना ले।
जबतक समाज में जागरूकता नहीं होगी।
हर दिन, हर घड़ी, एक निर्भया की घटना
हर गली- मोहल्ले में युहीं दुहराई जायेगी।
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©®रवि शंकर साह
देवघर, झारखंड।