शर्मशार इंसानियत और मणिपुर
क्यों मणिपुर आज शर्मसार है, क्यों नारी आज लाचार है, किस नींद में सोए है वो राजा, जो कहते थे मेरे लिए तो सब कुछ बेटियो
का सम्मान है।
क्यों रौंदा जाता है नारी का सम्मान बार बार
क्यों नारी होती इन दरिंदो का शिकार बार बार कैसे सड़को पर हुआ ये नंगा नाच क्या कर रहे थे वहा के खेवनहार
चुप रहकर यूं ना तुम ये पाप करो इस हस्तिनापुर के ना तुम धृतराष्ट्र बनो करो कुछ ऐसा की दोबारा ये नंगा नाच ना हो इंसानियत कभी इतनी उदास ना हो
खीच के खाल उनकी टंगवा दो चौराहों पर बना कर के नपुंसक छोड़ दो इन राहों पर हर दिन वो मृत्यु मांगे, हर पल उनका तिरस्कार हो तरस जाए मृत्यु को पर उससे भी उनका सरोकार ना हो करो कुछ ऐसा जो इन दुशाशनो के लिए ना टूटने वाली जंजीर बने देखे ये जहां,फैसला तुम्हारा नजीर बने।
Akash RC Sharma✍️©️