शरारत
दिल है
कमजोर
डर जाता है
शरारत से
करते हैं
फूलों से
शरारत
भौंरे
डर जाते है
वो नादान
लगती है अच्छी
शरारत शैतानी
बच्चों की
टोकते नहीं
माँ बाप
बिगड़ जाते
उदंड हो जाते
होते होते बड़े
पछताते फिर
बदनाम करते
बस्ती
है शरारत का
इतिहास पुराना
कभी अपनाना
तो कभी ठुकराना
उनकी
शरारत
है गज़ल
टकराये जाम
हो गये
बदनाम
है
अजब रिश्ता
शरारत और
शराफत का
कहीं वो
हकीकत है
तो कही
फ़साना है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल