!!~~शमशान के पास से गुजरते हुए~~!!
एक दिन
शमशान के पास से
गुजरते हुए मेरे दिल में
यह ख्याल आया कि , अरे
क्या सोचता है,
यह तो चला गया
कुछ दिन में
अब तुझ को भी
तो इस जहान एक
दिन चले जाना है !!
जिस घर तू रहता है
अपनी जिन्दगी गुजार रहा
है,
उसका मालिक कोई और है
और जा जाकर देख ले ,
वहां तेरे मरने का सामान
वो अभी से जुटा रहा है !!
काट ले चार दिन हंसी के वहां
यहाँ तो तुझको आना ही है
जीना तो पड़ेगा सब की खातिर
जेहर भी पीना पड़ेगा सब की खातिर
बस आने वाला वो महिना है !!
चन्द पलो में वो तुझो को
गैरों की तरह से करेंगे
इन लकडियो में सजा कर
तेरा भी यही हाल करेंगे !!
न यहाँ शोर होगा
न कोई चिल्लाएगा
तेरा ही अपना यहाँ, लाकर
तेरी चिता में आग लगाएगा !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ