शब्द
मेरे लिए वह ही शब्द मायने रखते
मैंने उन्हीं शब्दो को ताउम्र याद रखा
जो मेरे टूटते वक्त में संबल बने थे।
मैंने दुआओं को ताउम्र याद रखा,
शुभकामनाओं को ह्र्दय में महसूस किया,
प्रोत्साहन के शब्दों को दिल में सहेज लिया,
और हारते और टूटते वक़्त में उसे
औषधि सरीखा समझ आत्मसात किया।
शब्द ही मेरे लिए कभी मित्र बनें,
कभी मरहम ,
कभी आत्मबल ,आत्म चेतना और हिम्मत।
मगर ये शब्द कभी ज़ख्म में नासूर बनें,
कभी बेचैनियों का सबब,
कभी पीड़ाओं की तड़प।
मायने न रखते हुए कभी कभी वह शब्द
मेरे जीवन में बचे रह गए,
जो समय समय पर कडवे अनुभव दे गए थे।