शब्द
शब्द
कतार मे बैठे थे,
मैं उस जानिब गुजरा
तो हर एक ने
इशारा किया,
कि
ये कहो!!
इस तरह कहो!!
और मुझको ही कहो!!!
कुछ जो,
भारी भरकम से थे
रौब जमाते हुए
बोले
“हमारे रहते हुए कहीं और
जाने की जरूरत है क्या?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा ,
आपकी बात यकीनन
सही होगी!!
थोड़ा वक्त दीजिये
जरा सोचों से मशवरा
करलूं।
आखिर उन्हें भी तो ,
आईने मे
सूरत देखकर
कबूल है, कबूल है
कहने का हक़ हासिल है!!!!