*शब्द हैं समर्थ*
यह शब्दों का मेला है,
हर शब्द यहां अलबेला है।
शब्द चाहे कैसे भी हों,
पीड़ा हर सकें तो अर्थ है,
राह दिखाएं तो अर्थ है,
वरना सब व्यर्थ है।
शब्दों से घायल हृदय होता ,
उन्हीं से लगता मरहम है,
एक शब्द घर तोड़ता है,
दूजा मन को जोड़ता है।
शब्दों की सीमा अथाह है,
एक शब्द से ईश्वर रीझें,
एक शब्द गाली सा लागे,
ऐसे ही सक्षम शब्द हैं।
एक शब्द से फुल झड़े हैं,
एक शब्द से आग,
एक शब्द वरदान बने है,
एक शब्द है श्राप।
शब्दों का सामर्थ्य महान,
शब्दों की शक्ति अनंत,
अनर्थ में भी अर्थ भर दे,
वाणी को कर इतनी समर्थ।।
आभा पाण्डेय