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8 May 2024 · 1 min read

शब्द रंगोंली

गम खुशियों की खेले होली।
शब्दों से बनती रंगोली।

कभी हृदय में शूल चुभातें ,
कभी कर्ण में मिश्री घोली।

अंतर मन को छलनी कर दे,
जब चलती शब्दों की गोली।

दुश्मन को भी अपना कर लो
मुख से बोलो ऐसी बोली।

अलग- अलग भावों को लेकर,
निकल पड़े शब्दों की टोली।

मन की बगिया में उगती है,
ये शब्दों की हँसी ठिठोली।

कितने भाव उकेरे मन में,
जब भी हमनें शब्द टटोलीं।

रोम-रोम पुलकित हो जाता,
शब्दों ने घुघटा जब खोली।

अद्भुत विस्मय रंग शब्द के,
जैसे हो सपनों की डोली
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
65 Views
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