Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2024 · 1 min read

शब्द पिरामिड

शब्द पिरामिड

अमृत
गंगा सागर
निर्मल पावन जल
पाप काटता मोक्ष प्रदाता
मन मोहक सुन्दर लहरें उठती
सबको गले लगाते नित आती जातीं
एक बार गंगा सागर देखन अवश्य जाना।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 52 Views

You may also like these posts

मटिये में जिनिगी
मटिये में जिनिगी
आकाश महेशपुरी
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Vivek Pandey
अपना-अपना भाग्य
अपना-अपना भाग्य
Indu Singh
*जो कहता है कहने दो*
*जो कहता है कहने दो*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
लाज़िम है
लाज़िम है
Priya Maithil
देखकर आज आदमी की इंसानियत
देखकर आज आदमी की इंसानियत
gurudeenverma198
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
महाकाल
महाकाल
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
पंकज परिंदा
हरे भरे खेत
हरे भरे खेत
जगदीश लववंशी
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
4068.💐 *पूर्णिका* 💐
4068.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
सब कुछ लुटा दिया है तेरे एतबार में।
Phool gufran
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
"हाउसवाइफ"
Dr. Kishan tandon kranti
"मां" याद बहुत आती है तेरी
Jatashankar Prajapati
गजल
गजल
Sushma Singh
✍️ शेखर सिंह
✍️ शेखर सिंह
शेखर सिंह
“दर्द से दिल्लगी”
“दर्द से दिल्लगी”
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
एक नज़्म _ माँ मुझमे बसी मेरी ,दिल माँ की दुआ है ,,
एक नज़्म _ माँ मुझमे बसी मेरी ,दिल माँ की दुआ है ,,
Neelofar Khan
Education
Education
Mangilal 713
कीचड़ से कंचन
कीचड़ से कंचन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
एक आकार
एक आकार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
RAMESH SHARMA
अपने कदमों को
अपने कदमों को
SHAMA PARVEEN
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
साथ दीन्हौ सगतीयां, हरदम भेळी आप।
साथ दीन्हौ सगतीयां, हरदम भेळी आप।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Loading...