शब्द कम पड़ जाते हैं,
शब्द कम पड़ जाते हैं,
कुछ अहसास ऐसे होते हैं।
बंद आँखों से समझे जाते हैं,
कुछ ज़ज्बात ऐसे होते हैं।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
शब्द कम पड़ जाते हैं,
कुछ अहसास ऐसे होते हैं।
बंद आँखों से समझे जाते हैं,
कुछ ज़ज्बात ऐसे होते हैं।
लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’