शब्द और भाव
शब्द-
तुम तक….
नहीं पहुंचे।
जब भी…
उठे दर्द!
कहीं भीतर से।
आवाज पहुँची….
शब्द नहीं पहुंचे!!
जब कभी…
नाच उठा…
मयूर मन।
खिल उठे…
दिग दिगंत…
मन प्राण गूंज उठा–
वाह…वाह…वाह…
और
निकल पड़ा…
अनंत की यात्रा!
तुम तक!!
शब्द यहीं रह गए!!
आह…..वाह पहुंच गए!!!