“शब्द आराधना”
शब्द -आराधना करके बनता है
महान मानव
इससे ही सुनता है भाव भगवान
ये कमाल है शब्दों की शक्ति का
जिससे बढ़ती है न सिर्फ़ भक्ति
अपितु ज्ञान का खजाना भी
इसलिये करना चाहिये हमें सदैव
वंदन शब्दों का
यह सोचकर कि होती है
शब्द-आराधना
भाव के मंथन से ही
अनवरत्
जी हाँ,अनवरत्!
इतना ही नहीं
रचता है ईश संसार
भाव शब्दों के मेल से ही
और रचे जाते हैं
शब्द भावों के मेल से ही जगत् के ग्रंथ हजारों
इसलिये आइये करें हम
शब्द-आराधना
गढ शब्द का संसार
जिससे कि न जाये व्यर्थ
भावना
तभी हो सकेगा
कृति का वंदन
जी हाँ,वंदन …!
प्रशांत शर्मा ‘सरल’,नरसिंहपुर