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29 Jun 2019 · 1 min read

शब्दों को गुनगुनाने दें

शब्द गुनगुनाते
और रोते भी हैं,
इन्हें सिसकते भी देखा गया है।
गुनगुनाते हैं यह,
देवालयों की पवित्र सीढ़ियों पर ।
मंद-मंद मुस्कुराते हैं,
मस्जिदों के मुंडेर पर।
चहकते हैं,
गुरुद्वारे की पंगतो में।
और हाँ,
चर्च की गलियारों में
मोमबत्तियों की लौ पर,
इठलाते भी हैं,
यह बंजारे, बहुरूपिए शब्द।
गांव की पगडंडियाँ पकड़
विचार क्रांति भी करते हैं
देशज बन यह शब्द।
क्रांति और परिवर्तन की आश लिए
धीरे-धीरे महानगरों की चकाचौंध में
अथक दौड़ते भी हैं
यही शब्द।
और महानगरों की चकाचौंध,
इन्हें लीलने लगती है,
और धीरे-धीरे
मरने भी लगते हैं शब्द।
इन शब्दों को मरने न दें
यह आपके सगे हैं
इन्हें जीवंत बनाएं
अपने नव प्रयोग से
हाँ,
इन्हें गुनगुनाने दें
अपनी चौखट पर।

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 763 Views
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