“शब्दकोश में शब्द नहीं हैं, इसका वर्णन रहने दो”
हमने विरह भाव को भोगा है, हमें पलभर तन्हा रहने दो।
करने दो मन ही मन बातें, आंखों को दर्पण कहने दो।
हाथों से हाथों का मिलना,ये स्पर्श कोई आलौकिक है।
शब्दकोश में शब्द नहीं है, इसका वर्णन रहने दो।
प्रतीक्षा के बाद मिलन, अक्सर प्रेम प्रबल कर जाता है।
अपनी व्यथा कथा भी ऐसी, इसको यूं ही रहने दो।
शब्दकोश में शब्द नहीं हैं, इसका वर्णन रहने दो।
वो बात कहा है लफ्जों में,जज्बात बयां जो कर पायें
इन लबों को दो विश्राम जरा,आंखों से बाते कहने दो।
शब्दकोश में शब्द नहीं हैं, इसका वर्णन रहने दो।
तेरी आंखों के पन्नों पर,जब सूरत मेरी छपती है
दिव्य सा प्रतीत यहीं छण,इस छण को ठहरा रहने दो
शब्दकोश में शब्द नहीं हैं, इसका वर्णन रहने दो।
कुमार अखिलेश
देहरादून (उत्तराखंड)
मोबाइल नंबर 09627547054