Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

शबे- फित्ना

शबे- फित्ना

बिखरने दो धूप को
आसमाँ को नंगे पांव चलने दो
गलने दो ये दाग़ दिल के
३मता- ए- नफस हमें नहीं चाहिए
सो गई जमीं तो, तारे नींद उगलने दो
पांव हैं बहुरंगी सर तक
उस नज़र पर ४बार है , तो क्या हुआ?

रात के ख़ामोशी में, मुझको सजाएँ है तो क्या
ढूँढ लाओ महताब मेरा… रोशनी हैं तो क्या

जवाब रखके चलो तुम
१शबे – फित्ना है मेरी
रात के दूधिया – सा आँचल
ख़ूब नहाया २हब्स- सा होकर
नहीं है इश्क अब… जाने दो उसे, जाने दो!
वो चीज पराई क्या?
जो रूठ जाएँ हमेशा ही

ख़ामोश जंजीर में बंधकर ही, न जाओ तुम यारा
कैसे जिएगा ये दिल जो नाम याद करता है तुम्हारा

१ उपद्रव की रात २ उमस ३ साँसों की पूंजी ४ बोझ

– मनोज कुमार
गोंडा उत्तर प्रदेश

258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम गांव वाले है जनाब...
हम गांव वाले है जनाब...
AMRESH KUMAR VERMA
धर्म जब पैदा हुआ था
धर्म जब पैदा हुआ था
शेखर सिंह
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
Ashwini sharma
शब्द
शब्द
Neeraj Agarwal
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुफ़्तगू हो न हो
गुफ़्तगू हो न हो
हिमांशु Kulshrestha
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
सारथी
सारथी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3301.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
shabina. Naaz
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
"फुटपाथ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी एक चादर है
जिंदगी एक चादर है
Ram Krishan Rastogi
ओवर पजेसिव :समाधान क्या है ?
ओवर पजेसिव :समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
Shweta Soni
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
*प्रणय प्रभात*
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
आर.एस. 'प्रीतम'
*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
Ravi Prakash
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
मैं
मैं "लूनी" नही जो "रवि" का ताप न सह पाऊं
ruby kumari
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
महाशक्तियों के संघर्ष से उत्पन्न संभावित परिस्थियों के पक्ष एवं विपक्ष में तर्कों का विश्लेषण
Shyam Sundar Subramanian
मन को भाये इमली. खट्टा मीठा डकार आये
मन को भाये इमली. खट्टा मीठा डकार आये
Ranjeet kumar patre
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही  दुहराता हूँ,  फिरभ
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही दुहराता हूँ, फिरभ
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
VINOD CHAUHAN
मन में एक खयाल बसा है
मन में एक खयाल बसा है
Rekha khichi
अगर
अगर "स्टैच्यू" कह के रोक लेते समय को ........
Atul "Krishn"
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...