Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 4 min read

शक (कहानी)

बहू क्या ढूंढ रही हो? सुबह से पूरा घर उलट पलट कर रख दिया है? कुछ नहीं माता जी क्या बताऊं मेरे कंगन नहीं मिल रहे, मैंने सब जगह देख लिए, मुझे तो काम वाली बाई पर शक है। छोटे लोगों की नियत डोल जाती है। नहीं-नहीं बहू ऐसा बिना देखे किसी पर इल्जाम मत लगाओ, सिया भाई 20 वर्षों से हमारे घर का काम कर रही है, कभी कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं देखी, हो सकता है तुम कंगन कहीं रखकर भूल गई हो या मायके गई थी वहां रह गए हों, नहीं मां जी मैंने मां से पूछ लिया है। मैं तो अब सिया बाई की नामजद रिपोर्ट करूंगी, पुलिस सब उगलवा लेगी। सुबह सिया वाई काम पर आई तो बहू ने उससे कहा तुमने मेरे कंगन चुराए हैं, सीधे तरीके से ला दो नहीं तो मैं तुम्हारी पुलिस में रिपोर्ट करने जा रही हूं। सिया बाई सन्न रह गई, मुंह से कुछ निकल नहीं रहा था, आंखों से आंसू गिर रहे थे, मां जी आप समझाओ बहु रानी को यह क्या कह रहीं हैं? वाई साहब हम गरीब जरूर हैं, लेकिन ऐसा वैसा कोई काम नहीं करते। यह चोरी चकारी ही करनी थी, तो घर घर झाड़ू पोंछा नहीं कर रहे होते? आप भगवान के सामने मेरे बच्चों की कसम खिलवा लो, मेरी इज्जत पर कीचड़ मत उतारो, मेरे पास इसके अलावा कुछ है भी नहीं। बहू ने एक ना सुनी पुलिस थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज करवा दी। सिया बाई के घर पुलिस आ गई सारी बस्ती में तमाशा हो गया। पुलिस सिया वाई को थाने ले आई। सिया बाई के 5 बच्चे रोते-रोते मां जी के पास आ गए, मां जी मां को पुलिस पकड़ ले गई है। माजी ने बच्चों को ढांढस बांधते हुए कहा तुम घर चलो, यह कुछ पैसे ले जाओ कुछ खा लेना, हम तुम्हारी मां को लेकर आते हैं। चिंटू के पापा अजी सुनते हो तुम्हारी बहू ने गरीबन को फंसा दिया है, अपनी चीज का ध्यान नहीं न गवाह न सबूत बिचारी निर्दोष थाने में बैठी है? जल्दी चलो उसे छुड़ा लाते हैं, बहु बड़बड़ाती रही मां जी और साहब थाने पहुंच गए, सिया बाई की जमानत ली, थाने से उसे घर छोड़कर आ गए। बस्ती और काम वाली जगह पर झूंठी बदनामी से सिया भाई को गहरा धक्का लगा। उसने सभी जगह काम पर जाना बंद कर दिया। लेकिन जीवन तो लंबा है बिना काम के तो नहीं रह सकते? लेकिन यह काम तो मैं अब नहीं करूंगी, क्या करूं तभी बचपन की सहेली वैजयंती की याद आ गई, अरे वह भी तो सब्जी बेचने का काम करती है कल उसी से मिलूंगी। अरे सिया बाई आओ आओ बड़े दिन में दिखीं? हां बहन क्या बताऊं, तुमने तो सब सुन ही लिया होगा? खोटा नारियल होली में, हमारी गरीबी ने हम पर चोरी का इल्जाम भी लगवा दिया। अब झाड़ू बर्तन का काम मैंने सब जगह से छोड़ दिया है, इसलिए तुम्हारे पास आई हूं क्या करूं? चिंता मत कर बहन देख मैं भी तो ठेले पर सब्जी बेचती हूं, तू भी फल सब्जी बेचने का काम कर ले, पर बहन मेरे पास तो पैसा भी नहीं? अरे चिंता मत कर थोक व्यापारी उधारी में दे देते हैं, हाथ ठेला किराए पर मिलता है, सो मैं इंतजाम करा दूंगी, तू तो बस हां बोल, और काम करने तैयार हो जा। बहन अंधा क्या चाहे दो आंखें आज तू नहीं होती तो मैं कहां जाती? सिया बाई ने काम शुरू कर दिया और कुछ दिनों में काम भी अच्छा चलने लगा, पहले से अच्छी स्थिति में आ गई। इधर सिया बाई के काम छोड़ते ही दूसरी वाई काम पर रख ली गई थी। दीपावली की सफाई चल रही थी, सभी सामान उलट पलट कर देखा जा रहा था, सो चने की दाल का डब्बा देते हुए बहू ने कहा, वाई इस दाल में घुन लग गया है, तुम धो सुखा कर काम में ले लेना, इसे ले जाओ, डब्बा लेती आना। वाई दाल का डब्बा घर ले गई, सुखाने डाल रही थी सो देखा उसमें कंगन निकले, घबरा गई उल्टे पांव लौट आई। अरे मांजी बहु रानी जल्दी आओ, क्या हो गया वाई इतनी क्यों चिल्ला रही है? अरे मां जी आप हम गरीबों को मरवाएगी क्या? देखो आपने जो दाल का डब्बा दिया था, उसमें कंगन निकले, मां जी एवं बहु रानी अवाक रह गईं, उन्हें सिया बाई की करुण चेहरा दिख रहा था। बहू ने वाई को इनाम देना चाहा, वाई ने विनम्रता से मना कर दिया, मां जी भगवान ने हमारा ईमान बचा लिया, यही हमारा बड़ा इनाम है। मां जी ने बहु रानी की ओर मुखातिब होते हुए कहा देखो ऐसे होते हैं छोटे और गरीब लोग, मन के साफ दिल के बड़े। बहू मन ही मन बहुत शर्मिंदा हुईं, अपने किये पर उसे बहुत पछतावा हो रहा था, सिया बाई से क्षमा मांगने सिया बाई के घर गई,बहू हाथ जोड़े सिया वाई से क्षमा याचना कर रही थी। सिया बाई की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े थे।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

2 Likes · 6 Comments · 1324 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जो जैसे होते हैं
जो जैसे होते हैं
Sonam Puneet Dubey
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ज़माने   को   समझ   बैठा,  बड़ा   ही  खूबसूरत है,
ज़माने को समझ बैठा, बड़ा ही खूबसूरत है,
संजीव शुक्ल 'सचिन'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मदनहर छंद
मदनहर छंद
Rambali Mishra
*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
Mukta Rashmi
😊लघु-कथा :--
😊लघु-कथा :--
*प्रणय*
चिरैया पूछेंगी एक दिन
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ख़ामोश इन निगाहों में
ख़ामोश इन निगाहों में
Dr fauzia Naseem shad
यही है वो संवेदना है
यही है वो संवेदना है
Sandeep Barmaiya
*बचपन की पहली तीजो में, गुड़िया का श्रंगार (गीत)*
*बचपन की पहली तीजो में, गुड़िया का श्रंगार (गीत)*
Ravi Prakash
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्षणिका :  ऐश ट्रे
क्षणिका : ऐश ट्रे
sushil sarna
" रिश्ता "
Dr. Kishan tandon kranti
दिल के किसी कोने में
दिल के किसी कोने में
Chitra Bisht
"Jun88 là một trong những nhà cái có kho game trả thưởng đa
jun88net
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
पंकज परिंदा
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।
Phool gufran
यमराज और रावण दहन
यमराज और रावण दहन
Sudhir srivastava
अपनापन
अपनापन
Santosh kumar Miri
आओ बच्चों तुम्हे बताएं,बातें हिन्दुस्तान की,
आओ बच्चों तुम्हे बताएं,बातें हिन्दुस्तान की,
Jaikrishan Uniyal
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
Loading...